ये बंधन नहीं. मुझे खुद को अर्पण करना बाकी है।
दुख ही मेरा जन्म सदा, मैं अर्पण की बलिबेदी में।
जलना मेरा अधिकार सदा, आंसू ही मेरे मोती हैं।
आंचल ही प्रेम सदा, मैं राही एक अकेली हूं।
करुणा ही मेरी आह भले, फिर भी मैं एक पहेली हूं।
ममता ही मेरा राग रहा, फिर भी मैं एक पहेली हूं।
जब कोई मैंने जन्म दिया, फिर भी मैं एक असहाय रही।
जुल्म कई मुझ पर पड़ते हैं, फिर भी मैं एक क्षम्य रही।
कोमल दिल में साहस की मैं एक पहचान अदम्य रही।
जीवन मेरा जग को है, दफन ही मेरा साया है।
त्याग किया मैंने ये जीवन, फिर भी कुछ नहीं पाया है।
फूलों की वर्षा मैंने की, कांटो की सेज मुझे मिली।
मैं एक सूना दीया, फिर भी लौ मुझमे सदा रही।
मैं एक सूनी नदी रही, ठोकर भी मैंने सदा सही।
विरह ही मेरा जीवन है, इसी की मैं एक मूरत हूं।
लुटना ही मेरा लक्ष्य सदा, मैं घर की ही घूसर हूं।
दुख से ही जीवन का उदय हुआ, दुख ही जीवन की कथा बनी।
मैंने कांटों की चुभन सही, होंठो पर फिर भी मुस्कान रही।
7 टिप्पणियां:
बहुत अच्छा लिखा है........
कभी नाजों पली बेवजह भी जली।
तू कदम से कदम तो मिलाकर चली।
रूक कर तू विचार न हो जीवन बाजार।
चंद सिक्कों की खातिर न तन को उघार।
रूप तेरे हजार तू है जीवन आधार।
माँ की ममता है तुझमे बहन काभी प्यार।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
दुख से ही जीवन का उदय हुआ, दुख ही जीवन की कथा बनी।
मैंने कांटों की चुभन सही, होंठो पर फिर भी मुस्कान रही।
खूब लिखा है आपने. स्वागत.
ब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है. खूब लिखें, खूब पढ़ें, स्वच्छ समाज का रूप धरें, बुराई को मिटायें, अच्छाई जगत को सिखाएं...खूब लिखें-लिखायें...
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आप मेरे ब्लॉग पर सादर आमंत्रित हैं.
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अमित के. सागर
इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका हिन्दी चिटठा जगत में स्वागत है। आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को मजबूत बनाएंगे। हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
माशाअल्लाह। अभी तक कहां छिपे हुए थे।
"janha seeta bhee sukh pa naa saki tu us dharti kee nari hai, jo julm teri takdeer me hai wah julm yugon se jari hai"
narayan narayan
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